सनातन सतधर्म 39 नियम – 39 Rules of Sanatan Satdharm

आज भारत देश में अनेकों आध्यात्मिक गुरु है लेकिन उन में मौके पर सतगुरु अमर आनन्द जी महाराज, संस्थापक पक्का सौदा धाम, सदलपुर तहसील आदमपुर जिला हिसार हरियाणा में ऐसे सतगुरु है, जिनका इस मृत्युलोक संसार में कोई देहधारी गुरु नहीं है।ये जन्मसिद्ध ऐसे परमसंत जो गृहस्थ व अपनी जन्मभूमि में रहकर सत भक्ति करते हैं तथा जीवो को सत्य ज्ञान देते हैं। इन्होंने सनातन सतधर्म 39 की स्थापना की है, 20 बुरे कर्म तजने है तथा 19 अच्छे नियम अपनाने है ।

Swami Amar Anand

तजने वाले २० बुरे कर्म (Leaving 20 bad karmads) :-

  1. चोरी Stolen
  2. जारी Extramarital Affairs
  3. हत्या Murder
  4. कड़वा वचन Bitter Words
  5. झूठ Lies
  6. हीन विचार Poor Thoughts
  7. चुगली Gossip
  8. चापलूसी Flattery
  9. ईर्ष्या Jealousy
  10. घमंड Pride
  11. मनषा पाप Mansha Sin
  12. नशा विषय Drug Dddiction
  13. ‘पराई निन्दा Blasphemy
  14. भय Fear
  15. छल Cheat
  16. कपट Hypocrisy
  17. पराई आस Alien Hope
  18. क्रोध Anger
  19. संसारी मोह Worldly love
  20. तृष्णा Cravings

अपनाने वाले 19 अच्छे कर्म (19 Catching Up Good Karmas)

  1. ईमानदारी honesty
  2. शान्ति peace
  3. संतोष satisfaction
  4. कहनी और करनी एक saying and doing one
  5. शीलता modesty
  6. दया pity
  7. धर्म religion
  8. उच्च विचार high thoughts
  9. जागृत में रहना stay awake
  10. गम खाना keep quiet
  11. मीठा बोलना sweet speaking
  12. न्यायकारी just
  13. परस्वार्थ Altruism
  14. सादा जीवन the simple life
  15. गुरु मर्यादा में रहना Guru living in dignity
  16. कुल मर्यादा में रहना living in total decorum
  17. प्रेम love
  18. नम्रता humility
  19. चौबीस घंटे में 2.30 घंटे भजन करना 2:30 hours of Bhajan

इनका कार्यक्रम जाति धर्म समाज से ऊपर उठकर है। यहां केवल मानव धर्म को ही माना जाता है। यह दुनिया के ऐसे सतगुरु है,जिन्होंने अपनी गुरु गद्दी के प्रथम गुरुद्वारा की स्थापना अपने हाथ से की है।ऐसे महापुरुष आज से पहले कभी नहीं आए और शायद ही कोई आने वाले समय में आ सकते हैं।इन्होंने अपने ही गांव में श्री कृष्ण गौशाला,सर्व धर्म सेवा समिति ,राजयोग सेवा समिति की स्थापना की है तथा आनन्द मानव सेवा फ्री हस्पताल निर्माणाधीन है।

आज से पहले जो भी ग्रंथ लिखे गये या गुरुद्वारे आदि बने,वो उन महापुरुषों की मौजूदगी में नहीं बने अर्थात उनके प्रस्थान करने के बाद शिष्यों के द्वारा बनाए गए। ऐसे महापुरुष दुनिया में 500 साल बाद आते हैं।इन में आकाशवाणी आती है और वही सब कुछ खेल रचाकर स्थापना करवाती है ।उसके बाद गुरु से गुरु बनते चले जाते हैं अर्थात गुरु गद्दी स्थापित हो जाती है।

आज हमारे देश में प्रथम गुरु केवल “सतगुरु अमर आनन्द जी महाराज” है।

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